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दुनियांभर की खबरों पर एक नज़र : ट्रंप सरकार अरबपतियों और धनवानों से घिरी हुई है, इस्राईल को कैसा सीरिया चाहिये?

यमन की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के सदस्य मोहम्मद अली अल-हूती ने अमेरिका के फ़ैसले का जवाब देते हुए कहा कि अंसारुल्लाह आंदोलन को आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल करने का फ़ैसला ग़लत है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का लेबल अमेरिका पर पूरी तरह फ़िट बैठता है, जबकि गाज़ा के समर्थन में यमन का ऑपरेशन पूरी तरह से वैध हैं।

ताइवान द्वारा अमेरिका से और हथियार ख़रीदने का फ़ैसला, यमन की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल की अमेरिका के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया, ट्रंप सरकार पर अरबपतियों और धनवानों से घिरे होने का आरोप, बग़दाद द्वारा तुर्किए से इराक़ी भूमि से सैनिक हटाने की मांग, और ईरान द्वारा पश्चिम के ज़रिए अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के मंच का दुरुपयोग किए जाने की आलोचना, यह ईरान और दुनिया की कुछ अहम ख़बरे हैं जो आप पार्स टुडे के इस न्यूज़ बुलेटिन में पढ़ सकते हैं।

पनामा के राष्ट्रपति: ट्रंप झूठे हैं

पनामा के राष्ट्रपति होज़े राउल मुलिनो ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को ख़ारिज कर दिया कि वाशिंग्टन ने पनामा नहर पर नियंत्रण वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मुलिनो ने कहा कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं। मुलिनो ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा: “ट्रंप फिर से झूठ बोल रहे हैं। पनामा नहर को वापस लेने की कोई प्रक्रिया नहीं चल रही है।”

वियेना में ईरान के राजदूत का बयान: यूरोपीय ट्रॉइका ट्रिगर मैकेनिज़्म को सक्रिय करने की पोज़ीशन में ही नहीं है

वियेना स्थित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में ईरान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि मोहसिन नज़ीरी-अस्ल ने पश्चिम द्वारा IAEA के मंच का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग करने की आलोचना की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम पर एक व्यापक रिपोर्ट देने का अनुरोध किसी भी क़ानूनी आधार से ख़ाली है। नज़ीरी अस्ल ने बुधवार को IAEA की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में कहा कि यूरोपीय ट्रॉइका संयुक्त राष्ट्र रेज़ोलुशन 2231 और जेसीपीओए (JCPOA) का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय ट्रॉइका क़ानूनी और नैतिक रूप से ट्रिगर मैकेनिज़्म को सक्रिय करने की स्थिति में नहीं है।

अल-हूती: अंसारुल्लाह को आतंकवादी कहना कोई मायने नहीं रखता; गाजा अधिक महत्वपूर्ण है

यमन की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के सदस्य मोहम्मद अली अल-हूती ने अमेरिका के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अंसारुल्लाह को आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल करना ग़लत है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का लेबल अमेरिका बिल्कुल फ़िट बैठता है, जबकि गाज़ा के समर्थन में यमन का ऑपरेशन पूरी तरह से वैध है। अल-हूती ने आगे कहा कि गाज़ा को सहायता पहुंचाने से रोकना और शांति समझौतों को विफल करना अमेरिकी आतंकवाद है।

सैंडर्स: ट्रंप सरकार अरबपतियों और धनवानों से घिरी हुई है

अमेरिकी सिनेटर बर्नी सैंडर्स ने राष्ट्रपति ट्रंप की कांग्रेस में दी गई स्पीच पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने “झूठ का ढेर” देश को परोसा है। सैंडर्स ने कहा: “ट्रंप सरकार अरबपतियों और धनवानों से घिरी हुई है, और उनकी सरकार आम लोगों और मजदूर वर्ग की ओर कम ध्यान देती है।”

ताइवान द्वारा अमेरिका से और हथियार खरीदने का फ़ैसला

ताइवान के विदेश मामलों के कार्यालय के उप प्रमुख ने घोषणा की कि ताइवान अमेरिका के साथ सुरक्षा संबंधों को मज़बूत करने के लिए और अधिक हथियार ख़रीदने की योजना बना रहा है।

इराक़: हम तुर्किए की सेना को अपनी भूमि पर नहीं देखना चाहते

इराक़ के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार क़ासिम अल-आरजी ने बुधवार को तुर्किए की सेना और पीकेके (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी) के सदस्यों को आगाह किया कि अगर अंकारा और पीकेके के बीच शांति योजना सफलतापूर्वक लागू हो जाती है वे उत्तरी इराक़ से हट जाएं। अल-आरजी ने फ्रांस प्रेस एजेंसी को बताया: “हम न तो पीकेके और न ही तुर्किए की सेना को अपनी भूमि पर देखना चाहते हैं।”

दक्षिण अफ्रीका: गाज़ा में सहायता रोकना अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है

दक्षिण अफ़्रीक़ा के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में इज़रायल द्वारा गाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता को रोकने और सीमा चौकियों को बंद करने की निंदा की। उन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन बताया।

इस्राईल को कैसा सीरिया चाहिये?

पार्सटुडे- वाल स्ट्रीट जरनल ने इस बात से रहस्योद्घाटन किया है कि ज़ायोनी सरकार सीरिया में फ़ूट डालने का प्रयास कर रही है।

वाल स्ट्रीट जरनल ने एक रिपोर्ट में एलान किया है कि ज़ायोनी सरकार सीरिया में रहने वाले दुरूज़ियों को यह समझाने के प्रयास में है कि वे दमिश्क की नई सरकार को क़बूल न करें।

पार्सटुडे ने न्यूज़ एजेन्सी इस्ना के हवाले से बताया है कि इस रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ज़ायोनी सरकार अरबों डालर ख़र्च करने के लिए तैयार है और सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार इस काम से ज़ायोनी सरकार का लक्ष्य सीरिया में फ़ूट डालना और इस देश का विभाजन है।

वाल स्ट्रीट जरनल के अनुसार ज़ायोनी सरकार इसी प्रकार सीरिया में एक फ़ेडरल सरकार का गठन चाहती है और वह सरकार अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन से लगे सीरिया के दक्षिणी सीमावर्ती क्षेत्रों में हो और वह सरकार असैनिक हो।

इससे पहले ज़ायोनी सरकार के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने भी दक्षिणी सीरिया को ग़ैर सैनिक व हथियार रहित बनाने की मांग की थी।

विश्लेषकों का मानना है कि ज़ायोनी सरकार सीरिया को कमज़ोर और विभाजित देखना चाहती है।

इस रिपोर्ट के आधार पर यह कठिन है कि दमिश्क के नये अधिकारी एक फ़ेडरल व्यवस्था को क़बूल करें मगर ज़ायोनी सरकार यथावत अपने प्रयासों को जारी रखे हुए है। बश्शार असद की सरकार को ख़त्म हुए तीन महीने का समय हो रहा है इस अवधि के दौरान ज़ायोनी सरकार ने सीरिया की समस्त आधारभूत सेवाओं, हथियारों और संसाधनों को तबाह कर दिया ताकि ये हथियार सीरिया के नये अधिकारियों के हाथों में न पड़ें।

इसी बीच सीरिया के कुछ क़बाएली नेता इस बात से चिंतित हैं कि इस्राईल सीरिया की अधिक ज़मीनों पर क़ब्ज़ा न कर ले। उनका कहना है कि ज़ायोनी सरकार ने इस समय सीरिया के क़ुनैतरा प्रांत पर क़ब्ज़ा कर लिया है जो अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन के सीमावर्ती तीन प्रांतों में से एक है।

यहां तक कि सीरिया के कुछ दुरूज़ी समाज के नेता भी इस बात से चिंतित हैं कि सीरिया में इस्राईल के जो लक्ष्य हैं वे सीरियाई लोगों के मध्य मतभेद, फ़ूट उत्पन्न होने और कई धड़ों व गुटों में बंट जाने के कारण बनेंगे और यह चीज़ सीरिया के समस्त सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव के व्याप्त होने का कारण बनेगी।