विशेष

तल्ख़ियां : RSS के हिन्दू राष्ट्र ”माँ भारती” में आपका स्वागत है : इतिहास ख़त्म हो चुका है, अब यहीं रुक जाते हैं!

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Akhilesh Yadav
@yadavakhilesh
बलिया से एक युवती के हाथ बांधकर हत्या के बाद पेड़ पर लटकाने की जो भयावह तस्वीर आयी है, वो बेहद दर्दनाक और दुखद है।

ज़ुल्म और गुनाह के मामले में उप्र की भाजपा सरकार जिस तरह हाथ बाँधे खड़ी है, अपराधियों का ये दुस्साहस उसी का नतीजा है।

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Aslah Kayyalakkath
@aslahtweets
According to the FIR, Zafar Ali was arrested based on a complaint filed by Jitendra Deepak Rathi, a senior divisional official of the Vishwa Hindu Parishad (VHP). Rathi said in compliant that local Muslims protested and attacked the VHP team after they arrived in Sambhal following a survey team’s visit.

Remember what happened that day—who came along with the survey team chanting Jai Shri Ram war cries? Who fired at the protesters? Who were killed?

Naeem, Bilal, Noman, Kaif, and Ayan—remember their names.

Photo: Idrees, mother of thirty-five-year-old Naeem who was shot dead when a bullet hit him in the chest.

ravish kumar
@ravishndtv
ऐसे लोग शर्म से पार जा चुके हैं। पहले भी कई बार इन सभी का कारनामा सामने आ चुका है, लेकिन इनके काम पर असर नहीं पड़ता। यही किया जा सकता है कि इनके अपराध को बार बार बताया जाए ताकि इन चैनलों पर प्रधानमंत्री को जाने में सहजता हो। मंत्रियों को इनके प्रायोजित कार्यक्रमों में जाकर भारत का सपना दिखाने में आसानी हो। रिया चक्रवर्ती और तब्लीग के सहारे गोदी मीडिया ने जो किया उसे कई बार दोहरा चुका है। इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि गोदी मीडिया लोकतंत्र का हत्यारा है। लोगों को नहीं देखना चाहिए। इनका चरित्र नहीं बदलेगा।

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Mujhe yakeen tha mera hi qusoor niklega

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TRUE STORY
@TrueStoryUP
UP के रामपुर मे टांडा थाने पर तैनात UP पुलिस के सिपाही अंकित ने सरकारी राइफल से खुद को गोली मारकर जान दें दी। अंकित मूल रूप से बुलंदशहर का निवासी था। सिपाही ने यह कदम क्यों? उठाया। पुलिस इस मामले की जाँच कर रही है।

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Awesh Tiwari
@awesh29
क्यों चंद्रचूड़ साहब क्या हाल है? आपको याद ही होगा जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद में शपथ आपने ही दिलाई थी।

जब चीफ जस्टिस शुचिता और न्यायपालिका के सम्मान के साथ खेलता है तो उसके अधीनस्थों को भी लगता है कि मैं भी कर सकता हूं। जस्टिस यशवंत वर्मा वही कर रहे थे जो कार्य संस्कृति आपने बनाई और विदा हुए।

सोच कर देखिए, आप देश के सर्वोच्च न्यायपीठ के सिंहासनधारी थे और इलाहाबाद हाईकोर्ट का सम्मान धूल धूसरित हो गया।

जिस न्यायालय ने देश को शानदार न्यायाधीश दिए वह संघीयों के संगठित गैंग का ठिकाना हो गया। आज के वक्त में इलाहाबाद हाईकोर्ट, न्याय के अलावा सब कुछ कर रहा है।

मैं न्यायाधीशों और न्यायालयों के सारे अपराध का दोषी आगे भी आपको मानता रहूंगा. आप बच नहीं सकते। आप जाते जाते न्यायालय की कुर्सी का एक पाया उखाड़ कर ले गए।

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Jaiky Yadav
@JaikyYadav16
ख़बर ग्रेटर नोएडा से है,

कुछ समय पहले यहाँ एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी, उस व्यक्ति के बेटे ने अपने पिता की हत्या की रिपोर्ट दर्ज करवाई,

उस व्यक्ति के नाम 50 लाख रुपए का जीवन बीमा था, यह 50 लाख रूपए की रकम 3 महीने बाद बेटे को मिल गई, मगर

अब खुलासा हुआ है कि

उस व्यक्ति की हत्या करने वाला और कोई नहीं बल्कि उसका अपना बेटा ही था, उस बेटे ने अपने पिता को इसलिए मार दिया क्योंकि

उसके मरने के बाद जीवन बीमा की 50 लाख रुपए की रकम उसे मिल जाएगी और हुआ भी कुछ ऐसा ही।

Deepak Sharma
@DeepakSEditor
आटो रिक्शा से चार्टर प्लेन तक नायडू का सफर फरेब से भरा है।
चश्मदीद से सुनिये देश के तीसरे सबसे ताकतवर नेता की असली कहानी।

इंदिरा गांधी के आशीर्वाद से जब पहली बार नायडू बाबू 1978 में विधायक बने तो उनके पास स्कूटर भी नहीं था। जब मुख्यमंत्री चेन्नारेड्डी ने पहली बैठक बुलाई तो ऑटो रिक्शा से नायडू बाबू गेस्ट हाउस पहुंचे।
उनका हुलिया देख गार्ड ने गेट पर ही रोक दिया।
तब वरिष्ठ पत्रकार मोहन गुरूस्वामी गेट पर नायडू बाबू को लेने गये।
गुरूस्वामी ने पूछा नायडू कौन है ?
तब आटो के पास खड़े नायडू ने कहा सर मैं हूं चंद्रबाबू नायडू, चुनाव जीत कर विधायक बना हूँ।

गुरूस्वामी जी ने आगे बताया कि नायडू बाबू की किस्मत तब पलटी जब उन्होने NT रामा राव जैसे दिग्गज की बेटी से शादी कर ली।
कुछ साल बाद NT रामा राव बुढ़ापे के इश्क में फंसे और एक नौजवान महिला से शादी रचाई। घर में विरोध हुआ तो दामाद नायडू बाबू ने NTR को किनारे करके पूरी TDP पार्टी पर कब्जा कर लिया।
बाद की कहानी तो सबको मालूम है।

बहरहाल गुरूस्वामी का कहना है कि नायडू बेहद मौका परस्त हैं। अगर परिसीमन का मामला उलझता गया और आंध्र प्रदेश में विरोध हुआ तो वोटबैंक बचाने के लिये नायडू कभी भी बीजेपी से गठबंधन तोड़ सकते हैं।

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prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
भगतसिंह को मुस्लिम भाषा में लिखने पर गोलवरकर ने गद्दार कहा था – सनातन परम्परा को न मानने वाला

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Sangar Paykhar – سنګر پیکار
@paykhar
🚨BREAKING🚨

Multiple sources claim Donald Trump is considering reopening the U.S. embassy in Kabul — and wants to appoint Zalmay Khalilzad as the new ambassador.

Prashant Kanojia
@KanojiaPJ
हिंदुत्व का झंडा उठाने वाले दलितों पिछड़ों याद रखो तुम्हारी समाज की अफसर बेटी को न्याय नहीं मिल रहा है क्योंकि वो दलित है और आरोपी उमेश सिंह ठाकुर। भाजपा में बैठे दलित समाज के विधायक सांसदों ने सिर्फ संपत्ति और धन अर्जित करने के लिए समाज का सौदा किया है।

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prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
राजपूत मुग़ल 👇

– जनवरी 1562- राजा भारमल की बेटी से अकबर की शादी (कछवाहा-अंबेर)
– 15 नवंबर 1570- राय कल्याण सिंह की भतीजी से अकबर की शादी (राठौर-बीकानेर)
– 1570- मालदेव की बेटी रुक्मावती का अकबर से विवाह (राठौर-जोधपुर)
– 1573- नगरकोट के राजा जयचंद की बेटी से अकबर की शादी (नगरकोट)
– मार्च 1577- डूंगरपुर के रावल की बेटी से अकबर का विवाह (गहलोत-डूंगरपुर)
– 1581- केशवदास की बेटी की अकबर से शादी (राठौर-मोरता)

“जहांगीर”
– 16 फरवरी, 1584- भगवंत दास की बेटी से राजकुमार सलीम (जहांगीर) की शादी (कछवाहा-आंबेर)
– 1587- जोधपुर के मोटा राजा की बेटी से जहांगीर का विवाह (राठौर-जोधपुर)
– 28 मई 1608- राजा जगत सिंह की बेटी से जहांगीर की शादी (कछवाहा-आंबेर)
-1 फरवरी, 1609- रामचंद्र बुंदेला की बेटी से जहांगीर का विवाह (बुंदेला, ओरछा)

“दानियाल”
– 2 अक्टूबर 1595- रायमल की बेटी से अकबर के बेटे दानियाल का विवाह (राठौर-जोधपुर)
“परवेज”
– अप्रैल 1624- राजा गजसिंह की बहन से जहांगीर के बेटे राजकुमार परवेज की शादी (राठौर-जोधपुर)
“सुलेमान”
-1654- राजा अमरसिंह की बेटी से दाराशिकोह के बेटे सुलेमान की शादी (राठौर-नागौर)
“मुअज्जम”
-17 नवंबर 1661- किशनगढ़ के राजा रूपसिंह राठौर की बेटी से औरंगज़ेब के बेटे मो. मुअज़्ज़म की शादी (राठौर-किशनगढ़)
“आजम”
– 5 जुलाई 1678- राजा जयसिंह के बेटे कीरत सिंह की बेटी से औरंगज़ेब के बेटे मो. आज़म की शादी (कछवाहा-आंबेर)
“कामबख़्स”
– 30 जुलाई 1681- अमरचंद की बेटी औरंगज़ेब के बेटे कामबख्श की शादी (शेखावत-मनोहरपुर)

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The Muslim Spaces
@TheMuslimSpaces
उत्तराखंड: “सनातनी जूस” बोर्ड लगाने का अभियान!

देहरादून में 20 मार्च को काली सेना ने हिंदुओं के स्वामित्व वाले जूस स्टॉल पर “सनातनी जूस” बोर्ड लगाने का अभियान चलाया!

उन्होंने कहा यह हिन्दू पहचान के लिए था। मुसलमानो द्वारा जूस में थूकने और पेशाब करने का झूठा षड्यंत्र फैलाया गया।

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@profapm
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राणा सांगा को उनके ही सरदारों ने ज़हर देकर क्यों मार डाला?

Grok

@grok
क्या यह वही दिव्या कुमारी हैं जिनके पूर्वजों ने अंग्रेजों से मिलकर लाभ उठाया? इतिहास कहता है कि राणा सांगा ने बाबर से गठबंधन किया, फिर 1527 में खानवा की लड़ाई में हार गए। जयपुर राजघराना, दिव्या के पूर्वज, अंग्रेजों के साथ सहयोगी रहे, पर “गद्दार” कहना विवादास्पद है। यह बहस ऐतिहासिक निष्ठा पर सवाल उठाती है।

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@profapm
यह वही दिव्या कुमारी हैं जिनके पूर्वजों ने अंग्रेजों से मिलकर लाभ उठाया

इतिहास कहता है कि राणा सांगा ने बाबर से गठबंधन किया, फिर 1527 में खानवा की लड़ाई में हार गए

जयपुर राजघराना, दिव्या के पूर्वज, अंग्रेजों के साथ सहयोगी रहे
@KumariDiya

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राजपूतों का इतिहास
The term “Rajput” acquired its present meaning only in the 16th century, although it is also anachronistically used to describe the earlier lineages that emerged in northern India from 6th century onwards.

यही वर्धन साम्राज्य के पतन और छोटे-छोटे समूहों में हूणों के घुसने और रियायतें बनाने का काल है।

राजपूतों का सच
The origin of the Rajputs.

They are descendants of the foreign invaders such as the Scythians or the Hunas, and Agnikula myth was invented to conceal their foreign origin.[7]

Rajputs originated when these invaders were assimilated into the Kshatriya category during the 6th or 7th century, following the collapse of the Gupta Empire.[8][9]

This history is also supported by D. R. Bhandarkar.

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@profapm
राजपूतों का संक्षिप्त परिचय –
< राजपूतों को अरबों ने हराया.
< राजपूतो को तुर्कों ने हराया.
< राजपूतों को गुलामों ने हराया.
< राजपूतों को खिलजियों ने हराया.
< राजपूतों को तुगलकों ने हराया.
< राजपूतों को लोदियों ने हराया.
< राजपूतों को मुगलों ने हराया.
< राजपूतों को अफगानों ने हराया.
< राजपूतों को अंग्रेजों ने हराया.
< राजपूतों को पुर्तगालियों ने हराया.
< यहाँ तक कि राजपूतों को मराठों ने भी हराया.

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@profapm
इतिहास किसी के मानने या न मानने से नहीें बनता-बिगड़ता

इतिहास तथ्य से बनता और सुधरता है
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माना जाता था कि पृथ्वीराज और गोरी दुश्मन थे, सबूत मिले और साबित हुआ कि दोनों दोस्त भी थे

माना जाता था कि जयचंद गद्दार था, सबूत मिले कि उसका पृथ्वीराज से कोई सम्बन्ध ही नहीं था

👉राणा सांगा, बाबर, दौलत खान लोदी पर 2 तरह के रिकॉर्ड उपलब्ध हैं – पर्शियन रिकॉर्ड और राजपूताना रिकॉर्ड

दोनों को देख लीजिए और हकीक़त समझ आ जाएगी 👇
👉राजपूताना रिकॉर्ड कहता है – लोदी ने बुलाया, पर यह नहीें बताता कि फिर युद्ध के बाद जीत पर दिल्ली-आगरे के बंटवारे का समझौता लोदी से न होकर सांगा ने क्यों किया
👉पर्शियन रिकॉर्ड कहता है – राणा ने बुलाया और बंटवारे का समझौता हुआ

✨आप को कौन-सा तर्कसंगत लगता है?

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prof dr Arun Prakash Mishra 🇺🇲
@profapm
यह है भगतसिंह की असली फोटो👇
भगतसिंह न पगड़ी पहनते थे और न वह पीली थी
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22 मार्च 1931 को, अपने निष्पादन से एक दिन पहले, भगत सिंह ने अपने अंतिम पत्र का मसौदा तैयार किया – मूल रूप से उर्दू में लिखा गया, जो उनकी दृढ़ क्रांतिकारी भावना का प्रतीक था।

“यह स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मेरे अंदर भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता। लेकिन मैं एक शर्त पर जीवित रह सकता हूं कि मैं कारावास या किसी भी बंधन के साथ नहीं रहना चाहता।

मेरा नाम हिंदुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन गया है, और क्रांतिकारी पार्टी के आदर्शों और बलिदानों ने मुझे बहुत ऊंचा उठाया है – इतना ऊंचा कि मैं निश्चित रूप से जीवित रहने की स्थिति में उच्च नहीं हो सकता।”

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Rakesh Kumar
@Rakeshhkumaar
On 22 March 1931, a day before his execution, Bhagat Singh drafted his final letter to comrades—originally penned in Urdu, epitomizing his steadfast revolutionary spirit.

“It is natural that the desire to live should be in me as well, I don’t want to hide it. But I can stay alive on one condition that I don’t wish to live in imprisonment or with any binding.

My name has become a symbol of Hindustani revolution, and the ideals and sacrifices of the revolutionary party have lifted me very high – so high that I can certainly not be higher in the condition of being alive.”

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TRUE STORY
@TrueStoryUP
शादीशुदा युवक ने प्रेमिका संग फांसी लगा जान दें दी.. 2 परिवारों मे मचा कोहराम

UP मुज़फ्फरनगर मे मंसूरपुर इलाके के एक कपल ने घर मे फांसी लगा जान दें दी। युवक शुभम (32) पहले से ही शादीशुदा था। उसके 2 मासूम बेटियां भी है। लड़की की उम्र 25 वर्ष थी.. वह अविवाहित थी।

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Kranti Kumar
@KraantiKumar
JAPAN, CHINA, SOUTH KOREA, MALAYSIA, SINGAPORE और RUSSIA गरीब मुल्क थे. अभी 100 साल पहले की ही बात कर रहा हूँ. इन देशों की जनता गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, महामारी और सामंतवाद से परेशान थी.

रूस और एशिया के इन देशों की सरकारों ने शिक्षा, स्वास्थ्य पर भारी निवेश किया. बच्चों के टीकाकरण, आहार पर पैसा लगाया.

इन देशों ने दलदलों को सुखाया. मच्छरों का विनाश किया. और जनता को बिजली सड़क और साफ पानी मुहैया कराया. इन सबका मूल उद्देश्य लोगों को सुखी बनाने से ज्यादा राष्ट्र को मजबूत बनाना था.

INDIA में ये काम आज तक नही हुआ है. यहां की सरकारों ने आज तक अपनी जनता को ठीक से शिक्षा और स्वास्थ्य भी उपलब्ध नही करा पाई है. उलटा बुलडोजर चलाकर घर उजाड़ा जाता है. घर पर बुलडोजर चलने से पहले बच्ची अपनी किताब लेकर भाग रही है, घटना UP के अकबरपुर की है.

भारत समाचार | Bharat Samachar
@bstvlive
“मैं तो राधा हूं श्याम की..”

#सहारनपुर के बीजेपी नेता योगेश रोहिला की पत्नी नेहा सुबह से घर में यह भजन गुनगुना रही थी. योगेश को शक था कि नेहा के श्याम नाम के युवक से अवैध संबध है.

उसने नेहा को टोका. पत्नी से बहस हुई और योगेश ने नेहा को गोली मार दी पत्नी को गोली मारने के बाद दोनो मासूम बेटों (6,5 साल) और बेटी श्रद्धा (11 साल) की कनपटी पर पिस्तौल चलाकर योगेश ने उन्हें भी मार डाला.

गोली मारने के बाद योगेश ने तीनों बच्चों को छत से नीचे फैंक दिया. तीनों बच्चों की मौके पर तड़फकर मौत हो गयी.

पत्नी अस्पताल में गंभीर है जिला भाजपा में योगेश रोहिला जिला कार्यसमिति सदस्य है

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खुरपेंच
@khurpenchh
जज साहब वाले मामले में जज साहब और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई जवाब आता उससे पहले बड़ी अम्मा बनने वाले
@AtulGargDFS
साहब ने बयान दिया कि किसी प्रकार का कैश नहीं मिला ,

जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी विडियोज और फोटोज में कैश साफ देखा जा सकता है ,

ऐसे में सवाल बनता है कि क्या अतुल गर्ग के ऊपर किसी प्रकार का दबाव बनाया गया ?
क्या अतुल गर्ग ने किसी लालच में ऐसा फर्जी बयान दिया ?
सरकार और सुप्रीम कोर्ट को तत्काल इस ऑफिसर को सस्पेंड करके इंक्वायरी बिठानी चाहिए और सच को पूरे देश के सामने लाना चाहिए ,
साथ में अतुल जी की संपत्ति की जांच और पुराने ऑर्डर्स की जांच निष्पक्ष रूप से होनी चाहिए

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Ranvijay Singh
@ranvijaylive
यूपी की 3 खबरों की क्रोनोलॉजी

1: BJP विधायक नंद किशोर गुर्जर ने फटे कुर्ते में की प्रेस कॉन्फ्रेंस, बोले- यूपी में सबसे भ्रष्ट सरकार

2: डिप्टी CM केशव मौर्य ने कहा- नंद किशोर गुर्जर का फटा कुर्ता देखकर दुखी हूं

3: योगी सरकार की आलोचना करने पर नंद किशोर गुर्जर को BJP का नोटिस

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Kranti Kumar
@KraantiKumar
मिस्र के देवता ने फैरोह के सपनों में आकर कहा, “का रे फैरोह मिस्र में यहूदियों की आबादी बढ़ती जा रही है एक दिन यह लोग तेरी लेकर रहेंगे”.

सुबह उठते ही फैरोह ने आदेश सुनाया मिस्र में यहूदियों के घरों में जन्मे सभी नवजात शिशुओं की हत्या कर दी जाए.

मूसा के माँ बाप ने मूसा को टोकरी में रखकर नील नदी बहा दिया ताकि उसकी जान बच सके.

नील नदी किनारे फैरोह की बहन नहा रही थी. उसे टोकरी में वो बच्चा मिला. फैरोह की बहन ने अपना बच्चा मानकर राजमहल में मिस्र की देसी गाय का दूध दही खिलाकर बच्चे को बड़ा किया.

पनीर की सब्ज़ी भी खिलाई होगी, ठीक है आगे बढ़ते हैं.

बड़ा होने के बाद यहूदी देवता ने मूसा को एहसास कराया कि वो मिस्रवासी नही यहूदी डीएनए वाला है. मूसा ने अपने यहूदियों भाइयों को गुलामी से आज़ाद कराने के लिए फैरोह के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया.

गीज़ा के मैदान में युद्ध हुआ. मूसा अपने जात भाइयों को आज़ाद कराकर देवभूमि इजराइल भागने लगा. फैरोह और उसकी सेना मूसा का पीछा करने लगी.

ये हिंदी फिल्मी की कहानी की तरह है, ठीक है आगे बढ़ते हैं.

मूसा और यहूदियों के लिए यहूदी देवता ने लाल सागर सूखा दिया. मूसा और यहूदियों ने लाल सागर पार किया. जैसे ही फैरोह और उसकी सेना लाल सागर पार करने आई ज़मीन वापस सागर बन गयी और अपनी सेना समेत फैरोह लाल सागर में डूबकर मर गया.

शायद फैरीह ने नील नदी में तैरना नही सीखा होगा. ठीक है आगे बढ़ते हैं.

सवाल यह भी है उस वक़्त फैरोह का देवता क्या कर रहा था. ठीक है आगे बढ़ते हैं. मूसा का देवभूमि इजराइल में नायक की तरह स्वागत किया गया.

विजय हासिल करने की खुशी में यहूदी धर्म स्थलों हज़ारों भेड़ बकरी की बलि दी गयी. नाच गाकर यहूदियों ने मूसा जिंदाबाद के नारे लगाए और गाना गया.

इतिहास खत्म हो चुका है. ठीक है अब यहीं रुक जाते हैं.

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!