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एक साल पहले ही मेरी शादी हुई, तब मैं दो बच्चों की मां थी और तीसरा कोख में था…मैं ”सुनीता” हूं…

Indra pratap
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एक साल पहले ही मेरी शादी हुई। तब मैं दो बच्चों की मां थी और तीसरा कोख में था। मैं सुनीता हूं। शादी से पहले मैं एक सेक्सवर्कर थी। कोठे का एक छोटा सा कमरा ही मेरी दुनिया थी। सुबह से लेकर रात तक कई कस्टमर आते। उनमें से कुछ तो मेरा नाम पूछते, कुछ को नाम से कोई लेना-देना नहीं था। नाता कुछ मिनटों का होता था। वो रुपए देते, मेरा शरीर इस्तेमाल करते और चल देते। यह रोज का सिलसिला था।

एक दिन एक अनोखा कस्टमर आया। नाम था राहुल। दूसरों से एकदम अलग। तीन महीने तक वो आते रहे और अक्सर घंटों सिर्फ बातें करते रहते। पैसे देते और चले जाते। ज्यादा देर हो जाती तो कोठे की मालकिन कमरे का दरवाजा पीटकर कहती, ‘कितना टाइम लगेगा।’

धीरे-धीरे मुझे राहुल के साथ अच्छा लगने लगा। लगा वो बहुत प्यारा इंसान है। राहुल को भी जाने कब मुझसे प्यार हो गया। अचानक एक दिन राहुल बोले- आई लव यू। ये सुनते ही मैं जोर से हंस पड़ी, लेकिन वो सीरियस था। मैंने कहा, मुझ जैसी लड़की से कोई प्यार नहीं कर सकता। वो बोला, मैं तो करता हूं और तुम्हें यहां से ले जाना चाहता हूं।’

मैंने कहा, मुझ जैसी लड़की से कोई प्यार नहीं कर सकता। वो बोला, मैं तो करता हूं और तुम्हें यहां से ले जाना चाहता हूं।’

इस बीच राहुल को पता चला कि मैं तीसरी बार प्रेग्नेंट हूं फिर तो वो और ज्यादा आने लगे। हर बार मेरे लिए चॉकलेट लाते। कोठे की मालकिन को शक हुआ तो उसने राहुल से ज्यादा पैसे लेने शुरू कर दिए। कई बार तो तिगुना तक पैसा ले लेती। उनके आने से कोठे में हल्ला होने लगा।

मैंने राहुल को समझाया कि अपनी जिंदगी से मत खेलो, मेरी चिंता छोड़ दो, लेकिन वो शादी पर अड़े रहे।

आखिरकार मैंने हां कर दी। सोचा- नरक में हूं, इससे बदतर क्या ही होगा।

मैंने राहुल को एक मैडम के बारे में बताया। वो कोई अफसर जैसी थीं। जब भी कोठे पर आतीं तो नाबालिग लड़कियों को छिपा दिया जाता। मैडम ने कई लड़कियों को इस नरक से निकाला था
राहुल उनके पास गए और कहा कि इस लड़की को निकलवा दीजिए। मैं शादी करना चाहता हूं।

यहां से कहानी मैडम की जुबानी, जिन्होंने कई लड़कियों की जिंदगी सुधारी, मुझे सुनीता के पति का फोन आया। कहने लगा, मुझे कोठे से एक लड़की छुड़ानी है। मेरी हेल्प कर दीजिए। मैंने कहा मिलकर बात करते हैं। वो मुझसे मिलने आया। 27-28 साल का दुबला सा लड़का था।

देखते ही मैंने पूछ लिया, क्या तुम उसको रख पाओगे? घर वालों को क्या बताओगे? उसके दो बच्चे हैं और तीसरी बार प्रेग्नेट है।

अक्सर ऐसा होता है कि लोग शादी करके ले जाते हैं और उनसे दोबारा यही गंदा काम कराने लगते हैं। मैंने ऐसी कई कहानियां देखी और सुनी हैं।

उसने कहा, ‘रख लूंगा। उससे प्यार करता हूं। अब उसे वहां नहीं रख सकता।’

उसी लड़के ने मुझे इस लड़की की सारी डिटेल्स दीं। पता चला कि 25-26 साल की लड़की है, नौ साल पहले कोठे पर आई थी।

लड़की के घर फोन किया और बताया कि सुनीता जिंदा है और कोठे पर है। पिता ने कहा- वो हमारे लिए उसी दिन मर गई थी, जब घर से भागी थी।

ये सुनने के बाद मैंने दोनों की शादी करवाने की ठान ली। कोठे की मालकिन मुझसे खार खाती थी। मैंने पहले भी उस कोठे से कुछ लड़कियां निकालकर उसका नुकसान किया था। उसने मुझे बद्दुआ देते हुए कहा था कि, ‘भगवान करे तेरी बेटी यहां आ जाए।’ एक बार फिर मेरी नजर उसकी कमाऊ लड़की पर थी। पुलिस और कोर्ट में तीन महीने लगे, लेकिन हम सफल रहे। मंदिर में दोनों की शादी कराई।

आगे की कहानी फिर सुनीता की जुबानी, फेरे लेते वक्त मैं ये सोचकर खुश थी कि बच्चों के पास पिता का नाम होगा। जब राहुल ने मेरी मांग में सिंदूर भरा तो मैं रो पड़ी। कोठे में रहकर दुल्हन बनने के बारे में कभी सोचा ही नहीं था। आज मैं एक पत्नी, बहू, देवरानी, भाभी, चाची और तीन बच्चों की मां भी हूं। अब मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है।

शादी के बाद एक दिन मैंने राहुल से पूछा कि तुमने कभी मुझसे छुटकारा पाने के बारे में नहीं सोचा?

राहुल ने कहा, एक बार तो मुझे भी लगा था, लेकिन मुझे बच्चे याद आए। मुझे लगा वो भी उसी नरक में बड़े होंगे। तुम प्रेग्नेंट भी थी। अगर बेटी हो जाती तो वो भी कोठे पर बैठती। उसके खातिर मैं शादी करने को मजबूर हो गया।

मेरी जिंदगी तो बदल गई, लेकिन पिछले दिनों के जिक्र से भी सिहर जाती हूं। घर से बाहर की दुनिया मेरे लिए अच्छी नहीं है। अंधेरे कमरे या तंग गलियों को देख मेरा दम घुटता है। घर से बाहर हर आदमी मुझे जाना-पहचाना लगता है।

भीड़ में मर्दों की खास किस्म की ‘गंध’ से डर जाती हूं। किसी मर्द से नजरें नहीं मिला पाती। ऐसा लगता है कि वो मुझे उठाकर वहीं ले जाएगा। इस कारण घर से निकलना नहीं चाहती, लेकिन मजबूरी है। शीशे के सामने कभी राहुल के लिए सजती हूं तो कोठा याद आ जाता है।

पति कमाते हैं, लेकिन खर्च ज्यादा है। अब मैं मॉल में सिक्योरिटी गार्ड हो गई हूं। 12 हजार रुपए महीना मिलता है। यहां से मुझे हर वक्त घर जाने की जल्दी रहती है। जब भी कोई मर्द मेरी तरफ देखता है तो मैं घबरा जाती हूं। ऐसा लगता है कि कहीं ये मेरा कस्टमर तो नहीं रहा और इसने मुझे पहचान तो नहीं लिया।

घर में सास के अलावा मेरी डार्क लाइफ के बारे में किसी को नहीं पता। वो अपने बेटे के लिए दिल पर पत्थर रखकर मुझे अपना चुकी है। सबके सामने मुझे मानती भी है। कुछ महीने से उसकी टोका-टाकी कम हो गई है। वर्ना सजना-संवरना तो दूर की बात, बिंदी लगाने पर भी टोकती थी।

मुझे खाना बनाना भी नहीं आता था। जब घर में थी तो मां किचन में जाने नहीं देती थीं। कोठे में खाना बनता नहीं था। कई बार सास ताने मरती थी कि कैसे बना पाओगी, कोठे से आई हो। फिर मैंने यूट्यूब से खाना बनाना सीखा। अब दाल, रोटी, चावल, डोसा ही नहीं हर संडे चाऊमीन भी बनाती हूं।