विशेष

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज़्यादा टेंशन में थे ”गाय और भैंस”…”पहलवान हो तो घी खाया होगा”

Akhilesh Yadav
@yadavakhilesh
माननीय मुख्यमंत्री जी को उप्र में भाजपा के विधायकों को समायोजित करने के लिए एक ‘धमकी मंत्रालय’ भी बना देना चाहिए। इस मंत्रालय में मंत्री बनने के लिए उनके पास अपनी पार्टी के एक-से-एक योग्य उम्मीदवार पहले से ही हैं। वैसे चाहें तो वो ये मंत्रालय ख़ुद भी रख सकते हैं, क्योंकि इस विशिष्ट क्षेत्र में उनसे अधिक योग्यता व अनुभव और किसी के पास है भी नहीं।

Pintu Yadav
@pintu_amethi
“बुलडोजर बाबा की परीक्षा: दूध वाला सच!”

भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर जी ने ऐसा सवाल पूछ लिया कि प्रशासन वाले दूध की सप्लाई चेक करवाने में लग गए! बोले— “जिसने माँ का दूध पिया है, वो ही सही फैसला करेगा!” अब समस्या ये हो गई कि प्रशासन वाले कन्फ्यूज हो गए— “साब! दूध तो हमने बचपन में पिया था, लेकिन अब कौन-सा वाला मानें? दूध पाउडर? टोंड दूध? या फिर वो वाला जो डेयरी वाला सुबह पानी मिलाकर देता है?”

इस पर बुलडोजर महाशय बोले— “जिसका दूध शुद्ध होगा, वही न्याय करेगा!” अब हर सरकारी अफसर सोच में पड़ गया— “सर, अगर शुद्ध दूध वाला न्याय करेगा तो फिर हममें से कोई भी नहीं कर सकता, क्योंकि दूध में मिलावट तो देश की परंपरा बन चुकी है!”

उधर, विपक्ष भी तुरंत कूद पड़ा। बोले— “अगर दूध से न्याय तय होगा तो गरीबों के घर पर चलने वाला बुलडोजर दही कब बनेगा?”

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा टेंशन में थे गाय और भैंस! उन्होंने मिलकर फैसला किया कि अगर यही हाल रहा तो दूध देना ही बंद कर देंगे, क्योंकि कल को कोई नया नेता पूछ लेगा— “पहलवान हो तो घी खाया होगा?” और फिर सरकारी ऑफिस में देसी घी का टेस्टिंग सेंटर खुल जाएगा!

Rishabh Singh Yadav
@RISHABHA2Y

गाजियाबाद में जो हुआ,वह योगी सरकार की हिंदू समाज के प्रति नीयत को साफ करता है।

कलश यात्रा जैसे धार्मिक आयोजन को रोकना और एक जनप्रतिनिधि के साथ इस तरह की बदतमीजी करना दिखाता है

कि बीजेपी के लिए हिंदुत्व सिर्फ वोट लेने का हथियार है, सम्मान की भावना नहीं।

Surajkaithwar ( श्याम )
@surajkaithwar

मुख्यमंत्री जी ने कहा गुंडे प्रदेश छोड़कर भाग गए लेकिन शायद ये नही बताया की जितने भी गुंडे और गुंडई भाषा वाले है उन सबने भाजपा ग्रहण कर ली है जिसका प्रमाण इन नेताओ जैसे बहुत मिल जाएँगे
और जब ये नेता फँस जाएँगे तब तुरंत मंदिर मस्जिद खोजने लगेंगे

डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!