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अहीरों का इतिहास सिर झुकाने का नहीं, सिर उठाने का है, जब-जब धर्म की हानि हुई, तब-तब यादवों ने तलवार उठाई!

Professor
@Professor_kum
सुन ले और समझ ले!

अरे ओ सुनने वालों, बार-बार पूछते हो कि अहीरों का इतिहास क्या है? तो कान खोलकर सुनो, ये कोई हलवा-पूरी खाने वालों का इतिहास नहीं, ये माटी के लालों का, रणबांकुरों का, खून से लिखी गई कहानी है।

अहीर, यानी यादव, योद्धा भी, पशुपालक भी, और सबसे बड़ी बात—दिलेर भी। वैदिक काल से लेकर महाभारत तक, हर जगह अहीरों का नाम लिखा है। इतिहासकारों ने भी माना कि तीसरी सदी में आभीर अपनी ताकत के बल पर गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे इलाकों में राज कर रहे थे। जब दुनिया सो रही थी, तब अहीर इतिहास गढ़ रहे थे।

जब-जब धर्म की हानि हुई, तब-तब यादवों ने तलवार उठाई। जिस कृष्ण ने रणभूमि में राजनीति और युद्ध की नई परिभाषा दी, उसी का खून आज भी यादवों की रगों में दौड़ता है।

1857 में जब पूरा देश आग में जल रहा था, तब अहीर भी पीछे नहीं रहे। हरियाणा के नसीबपुर में अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिए। ये कोई टीवी सीरियल की कहानी नहीं, ये इतिहास की हकीकत है। यादवों का खून सस्ता नहीं, उन्होंने अपने खून से आजादी की इबारत लिखी।

रेजांग ला की लड़ाई याद है? अगर नहीं, तो याद कर लो। 120 यादवों की टोली ने हजारों चीनी सैनिकों को उड़ा दिया। 13 कुमाऊँ रेजिमेंट की चार्ली कंपनी ने जो कर दिखाया, वो किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं था। बंदूकों से गोलियाँ खत्म हो गईं, लेकिन हिम्मत खत्म नहीं हुई। ये है यादवों की ताकत!

रमलखान सिंह अहीर – 1857 की क्रांति में झाँसी की रानी के साथ मिलकर अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए। गोकुला जाट और अहीरों का विद्रोह (1669) – मुगलों के जुल्म के खिलाफ गोकुला जाट के साथ मिलकर अहीरों ने बगावत छेड़ दी। 1942 भारत छोड़ो आंदोलन – अहीरों ने जेल की यातनाएँ सही लेकिन हार नहीं मानी। देश के लिए जान दे दी, लेकिन झुके नहीं।

आज यादव हर फील्ड में छाए हुए हैं। किसान से लेकर फौजी तक, हर जगह यादवों का नाम है। कोई भी मोर्चा हो, यादव सबसे आगे रहते हैं। ये वो लोग हैं जो जुल्म सहते नहीं, बल्कि पलटकर वार करना जानते हैं।

अहीरों का इतिहास सिर झुकाने का नहीं, सिर उठाने का है। ये वीरता और हिम्मत की कहानी है, जो हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दे। अगली बार जब इतिहास की बात हो, तो याद रखना—ये धरती उन वीरों की भी है, जिन्होंने अपने लहू से इसे सींचा।

अब बोलो, और कुछ जानना है?

 

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भदौरिया_साहब
@Bhadoriabanna
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(1). सन् (1299) 2 जनवरी को दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने रेवाड़ी के दास अहिर की बड़ी बेटी नीरा से विवाह किया
(2). सन् (1688) 15 जून को नूरशाह ने रीति अहिर से विवाह किया
(3). सन् (1405) 30 जनवरी को फर्रुखसियार ने मजनी अहिर से विवाह किया।

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Muslims of India
@WeIndianMuslims
4 फ़रवरी 1922 को हुए चौरी चौरा काण्ड के मुख्य अभियुक्त थे नज़र अली, लाल मुहम्मद, शिकारी, भगवान अहीर और अब्दुल्लाह…

चौरी चौरा का मुक़दमा अब्दुल्लाह अद्रर्स वर्सेज़ किंग एंपायर के नाम से चला था।

2 जुलाई 1923 से लेकर 11 जुलाई 1923 के बीच 19 लोगों को फांसी हुई थी।

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भाटी साहब :- ब्रह्मचारी
@bhatisahab206__

Parody account
अफगान शासक इब्राहिम लोदी (1517 से 1526) की मां का नाम ‘करमावती’ था |

इब्राहीम लोदी यादव (अहीर) समुदाय से थी, यह जानकारी ऐतिहासिक स्रोतों में मिलते हैं |

महाराणा सांगा जी ने, इब्राहिम लोदी को खतौली (1517) और धौलपुर (1519) को बुरी तरह परास्त कर भगाया था,

इब्राहीम लोदी की मां यादव‌(अहीर) थी, उसके रगो में भी अहीरों का खुन था, और उसे महाराणा सांगा ने हरा दिया था,

इसलिए यादवों (अहीरों) को महाराणा सांगा जी के प्रति द्वेष है, और सभी यादव (अहीर) महाराणा सांगा जी का अपमान कर रहे,

व अपने रिश्तेदार इब्राहिम लोदी का पक्ष ले रहे हैं |

इस जानकारी का सोर्स पोस्ट में संलग्न है, अन्य सोर्स के लिए कल का इंतजार करें |

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राजा उग्रसेन, यादव वंश के मथुरा के राजा थे, || यदुवंशी क्षत्रिय यादव सम्राट राजा उग्रसेन यादव वंश इतिहास अहीर आभीर

 

 

 

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डिस्क्लेमर : लेखक के निजी विचार हैं, सभी लेख X पर वॉयरल हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं!